शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

बुधवार, 9 सितंबर 2020

अरसे से बंद पड़े घर में........एक कविता

अरसे से बंद पड़े घर मे.....

अरसे से बंद पड़े घर मे, वापिस चहचाहट देखी है।
तू ना ही सही, लेकिन यहाँ पंछियों की उड़ान देखी है।
कभी उठता था, धुंआ यहाँ रसोई से।
अब तो दरवाजे पर लगे, ताले में भी जंग लगा है।
कभी सुनाई देती थी, यहाँ से बच्चो की आवाजे।
आजकल तो यहाँ हवाएं भी, 
शोर नही करती।
कभी बसती थी जिंदगी यहाँ, अब अकेला घर बचा है।
जिसे टूटते हुए भी, हर रोज़ और हरपल देखा है।
कुछ दोस्त जो बैठा करते थे, कभी घर की चौखट पर।      आज भी देखा करते है वो इस तरफ, किसी आस से।
पूछता होगा घर भी अपने से, की क्या गलती रही मेरी। 
जो यहाँ से वह लोग चले गए, जिनसे कभी मैं घर था।
पता नही उसे कभी इसका, मिल भी पाएगा जवाब।
या उससे पहले ही, वह पूरा ढह जाएगा।
अरसे से बंद पड़े घर मे, वापिस चहचाहट देखी है।
तू ना ही सही, लेकिन यहाँ पंछियों की उड़ान देखी है।


सचिन त्यागी 

रविवार, 7 मई 2017

अब तो एक ही रास्ता है बचा...

थक गया हू मैं अब,,, पर अभी चलना बहुत है।
टूट गया हू मैं अब,,, पर अभी मंजिल दूर है।
विश्वास नही होता अब रिश्तो पर भी..
दोस्त भी अब दोस्त नही रहा...
अब तो अकेला ही चलना है...
पर किधर चलू हर तरफ अन्धेरा है फरेब है,
अब सिर्फ एक ही रास्ता है बचा......

जिस राह पर चला वही आगे बंद मिली।
जिस और देखा वही अपना ना मिला।
लोग आए और चले गए जिंदगी से मेरी।
लेकिन कोई अपना ना बना।
अब सिर्फ एक ही रास्ता है बचा.....

चकमती थी जो आंखे प्यार से वो अब बंद है।
धडकता था जो दिल प्यार में वो अब बंद है।
किसे कहूं अपना यहां तो हर कोई अकेला है।
अब सिर्फ एक ही रास्ता है बचा......

गुरुवार, 8 सितंबर 2016

दर्द

(यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक होते हुए भी, हमसे और हमारे समाज से जुड़ी हुई है। अभी कुछ दिन पहले मैं अपने काम से घर की तरफ आ रहा था, मैने देखा की रोड के साईड बहुत भीड लगी है, रूककर देखा तो एक बाईक सवार व उसकी फैमली को हल्की चोट लगी है, शायद किसी ने उनको टक्कर मारी थी, काफी भीड लगी थी मैने उनसे उनका हालचाल पुछा, जब पाया की सब ठीक है। तब मै वहा से चला आया। लेकिन पूरे रास्ते उस एक्सीडेंट की बातें मन मे घूमती रही। आज यह कहानी उसी रोड एक्सीडेंट की वजह से मन में उभरे उन्ही जज्बातों पर आधारित है। जो मुझे लौटते हुए आये थे।)

दीपू आज उदास लग रहा था, आज उसका रिजल्ट भी आया था। रिजल्ट में वह हर साल की तरह फस्ट ही आया था, फिर भी वह आज उदास था। क्योकी आज स्कूल में काफी चहल पहल थी, सब बच्चो के मम्मी पापा आए हुए थे, वह सब बच्चो व उनके मम्मी पापा को बडे गौर से देख रहा था, दीपू सात साल का एक छोटा व समझदार बच्चा है, वह कक्षा दूसरी मे पढता है,  वह अपने घर के पास के सरकारी स्कूल में पढता है। घर में उसकी मम्मी व एक 10 साल की बडी बहन गुड्डी है। दीपू के उदासी का कारण यह था की वह आज अपने पापा को बहुत याद कर रहा था।
दीपू के पापा अब इस दुनियां में नही है, जब दीपू चार साल का था तभी उसके पापा उसको छोड कर भगवान के पास चले गए, इसलिए वह कभी कभी भगवान से पुछता है की उन्होने उसके पापा को अपने पास क्यो बुला लिया। उसके पिता की मौत रोड एक्सीडेंट में हुई। जब वह दीपू को बाजार से स्कूल के जूते दिला कर ला रहे थे, तब रेड लाईट पर उनके स्कूटर को गलत दिशा से आ रही एक गाडी ने टक्कर मार दी,  टक्कर लगते ही दीपू उछल कर डिवाईडर के पास वाली झाडियो मे जा गिरा, उसकी मम्मी के हाथ पैर मे चोट थी, लेकिन वह बेहोश हो चुकी थी, जबकी उसके पापा को काफी चोट लगी थी, हेल्मेट टुट कर चकनाचुर हो गया था, उन्होने पहले दीपू को झाडियो से निकाला, दीपू लगातार रो रहा था, उन्होने दीपू को गले लगाकर चुप करना चाहा लेकिन कुछ देर बाद उसके पापा लडखडाकर वही सड़क पर गिर पडे। अब दीपू अकेला ही रोए जा रहा था।
बहुत सी गाडिया व लोग उधर से गुजर रहे थे पर किसी ने अस्पताल तक उन्हे पहुँचाने कोशिश नही की, आखिरकार एक घंटे के बाद पुलिस व एक एम्बुलैंस आई और उन्हे लेकर एक अस्पताल में पहुचीं।
अस्पताल तक पहुचने मे मुस्किल से दस मिनिट ही लगी क्योकी दुर्घटनास्थल से अस्पताल केवल चार या पांच किमी की दूरी पर ही था। डॉक्टरो ने तुरंत सभी का उपचार चालू किया, लेकिन दीपू के पापा को नही बचा सके, डॉक्टर के अनुसार अत्याधिक रक्त बहने से दीपू के पापा की मौत हुई थी, अगर उन्हे कुछ देर पहले अस्पताल लाया जाता तब वो बच सकते थे।
दीपू के पापा इस दुनिया मे नही रहे। आज उनका परिवार बहुत सी कठनाईयों मे जीवन व्यतीत कर रहा है उनका यह दर्द हम समझ नही सकते है।

समाप्त...

अपील:-
इसमे गलती किस की थी, पहले उस गाडी वाले की जो गलत दिशा से आया और उनको टक्कर मार कर भाग गया या वह लोग जो उनकी मदद कर सकते थे लेकिन उन्हे देखकर वहां से चलते बने। अब कुछ भी कह ले, किसी को भी कसूरवार ठहरा ले, लेकिन दीपू तो अपने पापा को खो चुका था। आज भी सड़क दुर्घटना में बहुत से लोग अपना जीवन खो देते है, पता नही कितने ही दीपू अपने पापा के स्नेह व प्यार से मोहताज हो जाते है। क्योकी हम लोग किसी घायल की मदद नही करते है, कुछ पुलिस के डर से तो कुछ अपना समय खराब होने से।
हम लोग आज से यह प्रण कर ले की हम हर घायल की मदद करेगे। हर जख्मी देखते ही उसकी मदद करेगे। चाहे आसपास लोगो को से अपील करके या फिर पुलिस को बता कर। तो क्या पता हमारे इस प्रयास से एक दीपू को उसके पापा का प्यार मिलता रहे।

सोमवार, 16 मार्च 2015

अन्तरद्वन्ध

आज करण सिहं बहुत खुश था,हो भी क्यो नही आज उसकी शादी जो थी,
दूसरी तरफ स्नेहा बहुत उदास सी दिख रही थी,क्योकी आज उसकी शादी करण से हो रही थी,जिस व्यक्ति ने उसका बलत्कार किया,उसी से उसकी शादी हो रही थी,
स्नेहा आज भी उस वक्त उस क्षण को याद करती है तो कांप जाती है,जब करण ने  कालेज की साईंस लैब मे उसके साथ बलत्कार किया.वह चाहती थी करण को उसकी इस हैवानीयत की सजा मिले पर घर की इज्जत व छोटी बहन का भविष्य पता नही कितनी बातो से मजबूर कर दिया की वह कोई कानूनी कार्यवाही ना करे,
एक दिन जब उसके पापा ने बताया की करण व उसके परिवार वाले तुझे अपनाना चाहते है,करण तुझसे शादी करना चाहता है,तब वह बिल्कुल टुट सी गई,वह चुप चाप एक मुर्दे के समान हो गई.
तभी स्नेहा के कमरे का दरवाजा कोई बाहर की तरफ से खटखटाता है,
स्नेहा जैसे ही दरवाजा खोलती है,वो देखती है की दरवाजे पर उसके कॉलेज की साईंस लैब वाली मेम(अध्यापिका) काजल खडी है,स्नेहा उन्हे देखते ही अन्दर आने के लिए कहती हैं.
काजल स्नेहा से उम्र मे तकरीबन दस साल बडी है,काजल स्नेहा को शादी के लिए बधाई देती है ओर बोलती है की तुम्हे तो खुश होना चाहिए पर तुम तुम्हारे चेहरे से लग रहा है की तुम खुश नही हो,
स्नेहा कहती है की नही ऐसा कुछ नही है,मै बहुत खुश हुं,इतना कहकर स्नेहा चुप हो जाती है.
काजल स्नेहा से कहती है की तुम अपना सारा जीवन अपने हीे गुनहागार के साथ कैसे बिता सकती हो, जिसने तुम्हारा जीवन नर्क बना दिया,तुम उसके साथ कैसे जीवन भर रह सकती हो,जिसको कानुन के शिकंजे मे होना चाहिए,उसको तुम अपनी सारी जिन्दगी दे रही हो,
स्नेहा काजल मैम से कहती है की तुम्हे यह बात कैसे पता चली जबकी यह बात मेने किसी को नही बताई,
काजल स्नेहा से बताती है,की वह साईंस लैब ईंचार्ज भी है इसलिए उसने वहां पर दो छुपे कैमरे लगाए हुए थे,जिसमे तुम्हारे साथ क्या क्या हुआ,सब कैद हो गया है,
यह सुनकर स्नेहा एकदम से डर जाती है,वह बोलती है की प्लीज वह विडियो डिलीट कर दीजिए,नही तो बहुत बदनामी होगी हमारी,
काजल उसको बताती है,की करण तुम्हारा ही नही बल्की उसका भी गुनेहगार है,उसने व उसके साथीयो ने उसके साथ भी वही गन्दा खेल खेला जो तुम्हारे साथ खेला है,
यह सुनकर स्नेहा को यकीन नही होता इसलिए वह काजल से पुछ बैठती है आप के साथ?
काजल उसको बताती है की करण ने उसके साथ कितनी बार यह गन्दा खेल खेला है,उसकी मजबूरी का फायदा ऊठाया,उसकी इज्जत को तार तार किया है,पर अब नही...
काजल स्नेहा को बताती है की वह चाहती है की वह उसको सजा दिलाएगी चाहे तुम (स्नेहा) मेरी मदद करो या नही,
काजल स्नेहा को बताती है,की हर बार नारी ही क्यो सजा भुगते जो गलती उसने की ही नही है,हम(नारी) भी स्वाभिमान से जीना चाहती है,पुरूष जो गलती करने के बावजूद अपनी गलती नही मानता बल्की पूरा समाज नारी को ही दोषी ठहराता है,लेकिन अब हम चुप नही रहेगी,हम सही ओर गलत क्या है समझ चुकी है,हम ओर अन्याय नही सहेगी,
यह कहकर काजल वहा से जाने लगती है,तभी स्नेहा काजल को कहती है की अब हमे क्या करना होगा,
काजल बोलती है की मेरी एक महिला वकिल मित्र है,जो हमारी मदद करेगी ओर वह बाहर ही खडी है,मै तो तुमसे सिर्फ यह पुछना चाहती थी की तुम्हे यह अन्याय सहना है या कुछ करना है,स्नेहा कुछ देर चुप रहने के बाद
एकदम से बोलती है की मुझे अपनी इज्जत व अपमान का बदला लेना है.....

शायद उसने अपने जीवन का सही फैसला कर लिया था,ओर वह दोनो घर से बाहर निकल जाती है ..............

यह कहानी आपको कैसी लगी,जरूर बताए..यह कहानी मेरे द्वारा लिखित पहली कहानी है.....सचिन त्यागी