सोमवार, 16 मार्च 2015

अन्तरद्वन्ध

आज करण सिहं बहुत खुश था,हो भी क्यो नही आज उसकी शादी जो थी,
दूसरी तरफ स्नेहा बहुत उदास सी दिख रही थी,क्योकी आज उसकी शादी करण से हो रही थी,जिस व्यक्ति ने उसका बलत्कार किया,उसी से उसकी शादी हो रही थी,
स्नेहा आज भी उस वक्त उस क्षण को याद करती है तो कांप जाती है,जब करण ने  कालेज की साईंस लैब मे उसके साथ बलत्कार किया.वह चाहती थी करण को उसकी इस हैवानीयत की सजा मिले पर घर की इज्जत व छोटी बहन का भविष्य पता नही कितनी बातो से मजबूर कर दिया की वह कोई कानूनी कार्यवाही ना करे,
एक दिन जब उसके पापा ने बताया की करण व उसके परिवार वाले तुझे अपनाना चाहते है,करण तुझसे शादी करना चाहता है,तब वह बिल्कुल टुट सी गई,वह चुप चाप एक मुर्दे के समान हो गई.
तभी स्नेहा के कमरे का दरवाजा कोई बाहर की तरफ से खटखटाता है,
स्नेहा जैसे ही दरवाजा खोलती है,वो देखती है की दरवाजे पर उसके कॉलेज की साईंस लैब वाली मेम(अध्यापिका) काजल खडी है,स्नेहा उन्हे देखते ही अन्दर आने के लिए कहती हैं.
काजल स्नेहा से उम्र मे तकरीबन दस साल बडी है,काजल स्नेहा को शादी के लिए बधाई देती है ओर बोलती है की तुम्हे तो खुश होना चाहिए पर तुम तुम्हारे चेहरे से लग रहा है की तुम खुश नही हो,
स्नेहा कहती है की नही ऐसा कुछ नही है,मै बहुत खुश हुं,इतना कहकर स्नेहा चुप हो जाती है.
काजल स्नेहा से कहती है की तुम अपना सारा जीवन अपने हीे गुनहागार के साथ कैसे बिता सकती हो, जिसने तुम्हारा जीवन नर्क बना दिया,तुम उसके साथ कैसे जीवन भर रह सकती हो,जिसको कानुन के शिकंजे मे होना चाहिए,उसको तुम अपनी सारी जिन्दगी दे रही हो,
स्नेहा काजल मैम से कहती है की तुम्हे यह बात कैसे पता चली जबकी यह बात मेने किसी को नही बताई,
काजल स्नेहा से बताती है,की वह साईंस लैब ईंचार्ज भी है इसलिए उसने वहां पर दो छुपे कैमरे लगाए हुए थे,जिसमे तुम्हारे साथ क्या क्या हुआ,सब कैद हो गया है,
यह सुनकर स्नेहा एकदम से डर जाती है,वह बोलती है की प्लीज वह विडियो डिलीट कर दीजिए,नही तो बहुत बदनामी होगी हमारी,
काजल उसको बताती है,की करण तुम्हारा ही नही बल्की उसका भी गुनेहगार है,उसने व उसके साथीयो ने उसके साथ भी वही गन्दा खेल खेला जो तुम्हारे साथ खेला है,
यह सुनकर स्नेहा को यकीन नही होता इसलिए वह काजल से पुछ बैठती है आप के साथ?
काजल उसको बताती है की करण ने उसके साथ कितनी बार यह गन्दा खेल खेला है,उसकी मजबूरी का फायदा ऊठाया,उसकी इज्जत को तार तार किया है,पर अब नही...
काजल स्नेहा को बताती है की वह चाहती है की वह उसको सजा दिलाएगी चाहे तुम (स्नेहा) मेरी मदद करो या नही,
काजल स्नेहा को बताती है,की हर बार नारी ही क्यो सजा भुगते जो गलती उसने की ही नही है,हम(नारी) भी स्वाभिमान से जीना चाहती है,पुरूष जो गलती करने के बावजूद अपनी गलती नही मानता बल्की पूरा समाज नारी को ही दोषी ठहराता है,लेकिन अब हम चुप नही रहेगी,हम सही ओर गलत क्या है समझ चुकी है,हम ओर अन्याय नही सहेगी,
यह कहकर काजल वहा से जाने लगती है,तभी स्नेहा काजल को कहती है की अब हमे क्या करना होगा,
काजल बोलती है की मेरी एक महिला वकिल मित्र है,जो हमारी मदद करेगी ओर वह बाहर ही खडी है,मै तो तुमसे सिर्फ यह पुछना चाहती थी की तुम्हे यह अन्याय सहना है या कुछ करना है,स्नेहा कुछ देर चुप रहने के बाद
एकदम से बोलती है की मुझे अपनी इज्जत व अपमान का बदला लेना है.....

शायद उसने अपने जीवन का सही फैसला कर लिया था,ओर वह दोनो घर से बाहर निकल जाती है ..............

यह कहानी आपको कैसी लगी,जरूर बताए..यह कहानी मेरे द्वारा लिखित पहली कहानी है.....सचिन त्यागी

6 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेरणास्पद कहानी, न जाने लोगों को दूसरे की जिंदगी से खेलकर क्या मिलता है. बस अपने कुछ पल के लिए दूसरे की पूरी जिंदगी तबाह कर देते हैं

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद भाई । क्या कहे आजकल ऐसा ही हो रहा है, समाज को अपनी मानसिकता बदलनी होगी।

      हटाएं
  2. दिल को छू गयी भाई जी
    ईश्वर किसी के साथ ऐसा ना करे

    जवाब देंहटाएं
  3. कहानी की आड़ में सच कह गये सचिन बाबू, इस समाज की नग्नावस्था के कपड़े न उतारों नहीं तो हर दूसरा शख्स नरभक्षी दिखाई देगा ।
    बाकी लिखने की कला आपकी बहुत सुंदर है, सुंदर कहना ठीक नहीं होगा, यह तो "ग्लानिपूर्ण" है क्योंकि ये नरभक्षियों को ग्लानि से भर देगी ।

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्यवाद रोहित कल्याणा जी।

    जवाब देंहटाएं