थक गया हू मैं अब,,, पर अभी चलना बहुत है।
टूट गया हू मैं अब,,, पर अभी मंजिल दूर है।
विश्वास नही होता अब रिश्तो पर भी..
दोस्त भी अब दोस्त नही रहा...
अब तो अकेला ही चलना है...
पर किधर चलू हर तरफ अन्धेरा है फरेब है,
अब सिर्फ एक ही रास्ता है बचा......
जिस राह पर चला वही आगे बंद मिली।
जिस और देखा वही अपना ना मिला।
लोग आए और चले गए जिंदगी से मेरी।
लेकिन कोई अपना ना बना।
अब सिर्फ एक ही रास्ता है बचा.....
चकमती थी जो आंखे प्यार से वो अब बंद है।
धडकता था जो दिल प्यार में वो अब बंद है।
किसे कहूं अपना यहां तो हर कोई अकेला है।
अब सिर्फ एक ही रास्ता है बचा......
एकमात्र बची हैं साँसे
जवाब देंहटाएंवहीँ से आ रहीं है आँहें
फिर खुद को हूँ पाने चला
अब सिर्फ एक ही रास्ता है बचा...
मुझे नहीं पता था अपमे ये टेलेंट भी सचिन भाई...बहुत खूब लिखा है। शुभकामनायें
वाह रोहित भाई आपने भी खूब कही।
हटाएंसुंदर एहसास के साथ एक प्यारी सी कविता..आपकी कविता प्रशंसनीय है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय भास्कर जी। बस दिल से निकली बात को लिख दिया,,, कई बार हालात भी ऐसा लिखवा देते है।
हटाएंबहुत बढ़िया अहसास । लिखते रहो
जवाब देंहटाएंThanks bhai
हटाएंवाह सचिन भाई ।कविता भी ,👍👍💐
जवाब देंहटाएंThanks bhai
हटाएंएक राह बंद तो दूसरी खुल जाती है बस हारना नहीं डटे रहने का हौसला होना चाहिए
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
धन्यवाद दीदी और आप की बात बिल्कुल सही है एक राह बन्द तो कई राह खुल जाती है।
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