रविवार, 7 मई 2017

अब तो एक ही रास्ता है बचा...

थक गया हू मैं अब,,, पर अभी चलना बहुत है।
टूट गया हू मैं अब,,, पर अभी मंजिल दूर है।
विश्वास नही होता अब रिश्तो पर भी..
दोस्त भी अब दोस्त नही रहा...
अब तो अकेला ही चलना है...
पर किधर चलू हर तरफ अन्धेरा है फरेब है,
अब सिर्फ एक ही रास्ता है बचा......

जिस राह पर चला वही आगे बंद मिली।
जिस और देखा वही अपना ना मिला।
लोग आए और चले गए जिंदगी से मेरी।
लेकिन कोई अपना ना बना।
अब सिर्फ एक ही रास्ता है बचा.....

चकमती थी जो आंखे प्यार से वो अब बंद है।
धडकता था जो दिल प्यार में वो अब बंद है।
किसे कहूं अपना यहां तो हर कोई अकेला है।
अब सिर्फ एक ही रास्ता है बचा......

10 टिप्‍पणियां:

  1. एकमात्र बची हैं साँसे
    वहीँ से आ रहीं है आँहें
    फिर खुद को हूँ पाने चला
    अब सिर्फ एक ही रास्ता है बचा...

    मुझे नहीं पता था अपमे ये टेलेंट भी सचिन भाई...बहुत खूब लिखा है। शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर एहसास के साथ एक प्यारी सी कविता..आपकी कविता प्रशंसनीय है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद संजय भास्कर जी। बस दिल से निकली बात को लिख दिया,,, कई बार हालात भी ऐसा लिखवा देते है।

      हटाएं
  3. बहुत बढ़िया अहसास । लिखते रहो

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह सचिन भाई ।कविता भी ,👍👍💐

    जवाब देंहटाएं
  5. एक राह बंद तो दूसरी खुल जाती है बस हारना नहीं डटे रहने का हौसला होना चाहिए
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद दीदी और आप की बात बिल्कुल सही है एक राह बन्द तो कई राह खुल जाती है।

      हटाएं